बाल दिवस : मेरे देश के बच्चों के आदर्श नहीं हो सकते नेहरू ?





ये है सच जवाहर लाल नेहरू का जो अपनी बेटी समान लड़कियों को भी अपनी अय्याशी का साधन समझता रहा । इसके जैसे निर्लज्ज अय्याश पुरूष को मैं क्या बच्चे भी स्वीकारने को तैयार नहीं कि इसे चाचा कहा जाये
जब स्वतंत्रता के संघर्ष में सत्ता का हस्तांतरण हुआ तो सारा श्रेय कांग्रेस को मिला । प्रधानमंत्री पद के चुनाव में कुल 15 वोटों में से 14 वोट सरदार पटेल के पक्ष में और 1 वोट नेहरू के पक्ष में पड़ने के बाद भी नेहरू गांधी जी की कृपा से देश के प्रथम प्रधानमंत्री बने । लेकिन 1955 में " ओह दैट आफुल ओल्ड हिपोक्रेट " Oh, that awful old hypocrite - ओह ! वह ( गांधी ) भयंकर ढोंगी बुड्ढा कहकर नेहरू ने अपने प्रति किये ये गांधी के महान त्याग को अपमानित कर दिया ।
विदेश में पढ़ा एक व्यक्ति जो भारत की सनातन संस्कृति से अनजान था । जो अपने को हिन्दू कहलाने में अपमान समझता था । जो पराई स्त्री के चक्कर में इतना गिर सकता है कि जिसका कोई चरित्र ही नहीं हो , जो उन्मुक्त रूप से एक औरत के साथ सिगरेट पीता दिखाई देता है । ऐसे व्यक्ति के जन्मदिन को अगर हमारी सरकार बाल दिवस के रूप में मनाती है , विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्यक्रम करती है और कहती है इसने प्रेरणा ले ? अगर हमारे देश की आने वाली पीढ़ी इसके पद चिन्हों पर चलने लगे तो भारत का भविष्य अंधकारमय होगा ।
आज देश में जो आतंकवाद , संप्रदायवाद की समस्या है । कश्मीर की समस्या , राष्ट्र भाषा हिन्दी की समस्या और चीन तथा पाकिस्तान द्वारा भारत की भूमि पर अतिक्रमण की समस्या है । इन सभी समस्याओं के मुख्य उत्तरदायी जवाहर लाल नेहरू है , जिन्हें भारत सरकार चाचा नेहरू कहती है ?
- विश्वजीत सिंह

4 comments:

  1. kafi smvedan sheel aalekh hai.vicharniye post.

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  2. aasha ki kiran hai ki aap jaise rashtrabhakt sach ko samne lane me prayasrat hain

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  3. सुन्दर प्रस्तुति
    बधाई

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  4. सुन्दर प्रस्तुति
    आपकी बात बिलकुल सही है में आपकी बात का समर्थन करता हू !
    आज का युवा वास्तविकता कों जानकर नेहरू और गाँधी कों नहीं सरदार भगत सिंह, सुभास चन्द्र बोस, वीर सावरकर, सरदार पटेल जैसे वीरों कों अपना प्ररणा स्रोत्र मानता है.

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