बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी शुक्रवार की झांसी रैली में पूरी तैयारी के साथ आए. राहुल गांधी को उन्होंने चुनचुनकर धोया और इसके लिए राहुल की ही तकरीर से संदर्भ उठाए. बाप दादाओं की विरासत पर कहा कि ये सब जो पराक्रम दिखा गए हैं, उसके निशान देखने राहुल झोंपड़ी में जाते हैं.और जो राहुल गरीबी का जिक्र कर सहानुभूति बटोरना चाहते हैं, मोदी ने उसको गरीबों के स्वाभिमान से जोड़ दिया.उन्होंने चौधरी चरण सिंह के साठ के दशक के अजगर फॉर्मूले की याद दिलाता हुआ एक नया नारा गढ़ा, सबका नाश करो. यहां स माने सपा, ब माने बसपा और का माने कांग्रेस. बहरहाल, पहले देखते हैं कि झांसी में कैसे राहुल को काउंटर किया गया.
बुंदेलखंड को नीचा नहीं दिखाया. उसकी विरासत को याद किया. 1857, झांसी की रानी से लेकर हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को भी, जिन्हें यहां की जनता दद्दा (बड़ा भाई) कहती थी.फिर राहुल के रुदन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मैं आपके पास रोने धोने नहीं आया हूं. न आंसू बहाने आया हूं. न आंसू बहाने वालों की कोई कथा सुनाने आया हूं. मैं आज आपके यहां आया हूं आपके आंसू पोछने को विश्वास देने के लिए.
यहां से भाषण की टोन सेट हो गई. ये साफ हो गया कि आज मोदी शाहजादे को रडार पर रखेंगे और इस फेर में सपा, बसपा पर हमले कुछ कम होंगे. उन्होंने बार बार किसानों का जिक्र कर पैकेज का सवाल उठाया और आखिरी में पंच मारते हुए कहा कि पैकेज वालों की पैकिंग कर दो.
यहां गौर करने वाली बात है मोदी के शब्द. वह केंद्र सरकार कहने से बचते हैं और दिल्ली की सल्तनत कहते हैं. ये जुमला मध्यकाल के मुगल और उससे भी पहले के मुस्लिम राजघरानों वाले शासन के लिए चलता था. जब हिंदुओं को जजिया कर देना होता था. कई दिक्कतें थीं. अब दूसरे शब्द पर गौर करिए. जैसे राहुल मोदी का नाम नहीं लेते, वैसे ही मोदी भी उन्हें शाहजादे कहते हैं. कभी तेज आवाज में, कभी नाटकीयता भरे उतार चढ़ाव के साथ वाक्य के अंत में.
सल्तनत और शाहजादे की इमोशनल अपील को काउंटर करने के लिए आज मोदी ने वो कहा, जो अब तक पार्टी अध्यक्ष कहते थे. कि मैं रेलवे के डिब्बों में चाय बांटने वाला गरीब परिवार का लड़का.आज देश के पीएम पद के लिए दावेदारी कर रहा है.फिर उन्होंने खुद को यूपी से जोड़ा. संगठन के दिनों को याद किया और मारी हेडलाइंस बनाने वाली लाइन. आपने कांग्रेस को साठ साल दिए, मुझे साठ महीने दीजिए, तकदीर और तस्वीर बदल दूंगा.
आज के भाषण में मोदी समर्थकों के लिए राहत की बात यह थी कि उन्होंने गुजरात गाथा पर ज्यादा जोर नहीं दिया. उन्होंने बुंदेलखंड और यूपी के किसान, नौजवानों की जमीन पर जाकर बात की. अपने एक कारखाना प्रयोग का भी जिक्र किया. जिसके जरिए प्रवासी मजदूर कटाई के टाइम पर बिना नुकसान के अपने गांव लौट सकता है.
मोदी ने राहुल के दादी की मौत वाली बात पर सिखों के नरसंहार का जिक्र किया और मुजफ्फरनगर में आईएसआई के सक्रिय होने पर उन्हें ही घेरे में ला दिया.यहां ऐसा लगा गोया वह मुसलमानों तक संदेश पहुंचाना चाहते हों.क्या ये अजब इत्तफाक है कि आज ही मौलाना कल्बे सादिक ने भी कहा कि मोदी से इतना भी परहेज क्या.
उत्तर प्रदेश जो सत्ता के सवाल का जवाब देता है, सज चुका है. सिलसिले में अभी कांग्रेस और बीजेपी जुड़ी हैं. सपा-बसपा की तैयारी दूसरे ही स्तर पर है. वहां प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं और अब उन्हें बदले जाने का दौर चल रहा है.मगर झांसी की रैली से यह साफ हो गया कि नरेंद्र मोदी इस चुनाव को बीजेपी बनाम कांग्रेस ही रखना चाहते हैं और सपा बसपा का जिक्र बस यूं आता है, गोया वे कोई वोटकटवा हों।
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