अपने रावण को मारो

|| ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ||
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें, वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
अपने रावण को मारो    
वह था संस्कृत और वेद का विद्वान 
कुबेर का भ्राता
पुलस्त्य  ऋषि का पौत्र   
विश्रवस निकषा  का पुत्र  
शंकर का अनन्य भक्त
तांडव स्तोत्र का रचयिता  
स्वर्ण लंका का अधिपति 
दशासन रावण
रखता था नाभि में 
अमृत कुंड!
पर एक कुविचार प्रेरित कृत्य के कारण 
मारा गया 
श्री राम के हाथों
नाभि पे लगे बाणों से 
जहाँ अमृत था 
आज हम उसका पुतला बना कर 
भेदते है बाण से  
उसकी नाभि नहीं 
उसका ह्रदय 
क्यों की हृदय में ही 
उत्पन्न होते हैं विचार कुविचार 
अर्थात वही होता है रावणी विचार 
तो फिर 
रावण का पुतला फुकने से पहले
तुम क्यों नही हनन करते
अपने ह्रदय के कुविचारों को
तब तक तुम्हे क्या हक़ है
की फूंको रावण के पुतले को
कुछ नहीं हासिल होगा तुम्हे
जब तक तुम नहीं मारते 
अपने भीतर का रावण
और नहीं संवारते 
अपना अंतःकरण 
जिससे संपन्न हो सदा सुकृत्य
महान  हो आदर्श हो चरित्र 




आप सब को बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतिक दशहरा पर्व पर हार्दिक शुभ कामनाएं एवं बधाई 

13 comments:





  1. आदरणीय मदन शर्मा जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    रावण का पुतला फूंकने से पहले
    तुम क्यों नही हनन करते
    अपने हृदय के कुविचारों को
    तब तक तुम्हे क्या हक़ है
    की फूंको रावण के पुतले को
    कुछ नहीं हासिल होगा तुम्हे
    जब तक तुम नहीं मारते
    अपने भीतर का रावण
    और नहीं संवारते
    अपना अंतःकरण

    बहुत सही कहा आपने
    अच्छी रचना के लिए आभार !

    मेरा एक दोहा देखिए -
    काग़ज़ और बारूद का पुतला लिया बनाय !
    घट में रावण पल रहा , काहे नहीं जलाय ?!



    नवरात्रि एवं दुर्गा पूजा एवं विजयदशमी की बधाई और शुभकामनाओं सहित
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
    शुभ विजया ||

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  3. आदरणीय मदन जी हार्दिक अभिवादन ....
    बहुत सही कहा आपने
    अच्छी रचना के लिए आभार !

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  4. बिलकुल सही है आज के रावण तो न जाने कितने कितने पाप करते है और जनता को रोज़ जला रहे है॥
    दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें

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  5. रावण का पुतला फुकने से पहले
    तुम क्यों नही हनन करते
    अपने ह्रदय के कुविचारों को
    तब तक तुम्हे क्या हक़ है
    की फूंको रावण के पुतले को
    बहुत सही कहा आपने
    अच्छी रचना के लिए आभार

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  6. बहुत बहुत आभार ..

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  7. आपने सही लिखा मदन जी,
    सुन्दर जानकारी......बहुत बहुत आभार ..

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  8. रावण का पुतला फुकने से पहले
    तुम क्यों नही हनन करते
    अपने ह्रदय के कुविचारों को
    तब तक तुम्हे क्या हक़ है
    की फूंको रावण के पुतले को

    आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।

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  9. राजेंद्र स्वर्णकारजी, रविकर जी, रवि कान्त जी, राम प्रताप जी, हिमांशु गुप्ता जी, सविता बजाज जी तथा दीप्ती शर्मा जी यहाँ आने के लिए आप का धन्यवाद
    आप सब भी अच्छा कार्य कर रहे है बस आज जरुरत है हमें मिल के साथ चलने की, एक विचार होने की,
    मेरे ब्लॉग पर आने और टिप्पणी दे कर हौसला आफजाई के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया
    आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा .......

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  10. जब तक अपने मन का रावण नही मरेगा तब तक सारी दुनिया का कल्याण नही होगा । मेरे पोस्ट पर आकर मेरा भी मनोबल बढ़ाएं।
    धन्यवाद ।.

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  11. सच है हम अपने मन का रावण कभी नही मारते
    मैंने ही ये ब्लॉग बनाया था पर सबको admin बनाते समय mai खुद ही डिलीट हो गया
    आप से निवेदन है की आप मुझे फिर से जोड़े और admin बनाये
    मेरी id है alokmohan12 @gmail .com

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  12. कुछ नहीं हासिल होगा तुम्हे
    जब तक तुम नहीं मारते
    अपने भीतर का रावण
    और नहीं संवारते
    अपना अंतःकरण ..
    शर्मा जी ..अत्यंत ही साथक आलेख एवं प्रेरणादायी आह्वाहन ...आपको हार्दिक शुभ कामनायें !!

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  13. पञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
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    "आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"

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