स्वामी विवेकानन्द के नजर में इस्लाम ( swami VivekaNand about Islam ) - ३

पहला भाग यहाँ पढ़े 


९. किसी मुस्लिम देश में मंदिर बनाना वर्जित – “ ऐसा भारत में ही है कि यहाँ भारतीय ( हिंदू) मुसलमानों, ईसाईयों के लिए पूजा स्थल ( मस्जिद, गिरजाघर) बनवाते है, अन्यत्र कही नही | अगर आप एनी देशो में जाओ और मुसलमानों या एनी मतों के लोगो से कहो कि उन्हें अपने लिए मंदिर बनाने दो तो देखो वे तुम्हारी किस प्रकार मदद करते है, अनुमति देने कि जगह वे तुम्हे और तुम्हारे मंदिर को ही तोड़ डालने कि कोशिश करेंगे, यदि वे ऐसा कर सके |” ( ३:१४४)
१०. भारत में रहने वाले भी हिंदू – “ इसलिए यह शब्द ( हिंदू ) न केवल वास्तविक हिन्दुओ बल्कि मुसलमानों, ईसाईयों, जैनियों और एनी लोगो के लिए भी यही है, जो कि भारत में रहते है |” ( ३:११८ )
११. सैकड़ो वर्षों तक ‘अल्लाह–हो-अकबर’ गूंजता रहा – “बर्बर विदेशी आक्रान्ताओ की एक लहर के बाद दूसरी लहर इस हमारे पवित्र देश पर टकराती रही | वर्षों तक आकाश अल्लाह-हो-अकबर के नारों से गुंजायमान होता रहा और कोई हिंदू नही जानता था कि इसका अंतिम ‌‍‌क्षण कौन सा होगा| विश्व भर के ऐतिहासिक देशो मेसे भारत ने ही सबसे अधिक यातनाये और अपमान सहे है फिर भी हम लगभग उसी एक राष्ट्र के रूप में विद्यमान है और यदि आवश्यक हुआ तो सभी प्रकार कि आपदाओ को बार – बार सामना करने के लिए तैयार है | इतना ही नही, अभी हाल में ऐसे भी संकेत है कि हम ना केवल बलवान  ही है बल्कि बाहर निकालने को तैयार है क्योकि जीवन का अर्थ प्रसार है |” ( ३:३६९-७० )
१२. मुसलमानों को तरह न मानाने पर हत्या - “ अज्ञानी लोग ...... एनी किसी देसरे मनुष्य माकी समस्यायों का अपने स्वतंत्र चिंतन के अनुसार व्याख्या न करने देने को न केवल मना करते है, बल्कि यहाँ तक कहने साहस करते है कि एनी सभी विल्कुल गलत है और केवल वही सही है | यदि ऐसे लोगो का विरोध किया जाता है तो वे लड़ने लगते है और यहाँ तक कहते है कि वे उस आदमी को मार देंगे यदि वह ऐसा विश्वास नही करता है जैसा कि वे स्वयं करते है |” ( ४:५२ )
१३. पैगम्बर व् फरिस्तो कि पूजने में आपत्ति नहीं – “ मुसलमान प्रारंभ से ही मूर्ति पूजा के विरोधी रहे है लेकिनुन्हे पैगम्बरों या उनके सन्देश वाहको को पूजने या उनके प्रति आदर प्रकट करने में कोई आपत्ति नही होती है, बल्कि वास्तविक व्यवहार में एक पैगम्बर कि जगह हजारों ही हजार पीरों कि पूजा की जारही है | “ ( ४:१२१ )
१४. मुसलमान सर्वाधिक संप्रदायवादी – “इस ( इस्लाम ) के विषय में आज मुसलमान सबसे अधिक निर्दयी और सम्प्रदायवादी है उनका मुख्य सिध्दांत वाक्य है “ ईश्वर (अल्लाह) एक है और मुहम्मद उसका पैगम्बर है |” इसके अलावा सभी बाते न केवल बुरी है, बल्कि उन्हें फ़ौरन नष्ट कर देना चाहिए | प्रतेक स्त्री और पुरुष, जो इन सिध्दांत को पूरी तरह नही मानता है, उसे क्षण भर के चेतावनी के बाद मार देना चाहिए, प्रतेक वास्तु जो इस प्रकार की पूजा विधि के अनुकूल नहीं है, उसे फ़ौरन नष्ट कर देना चाहिए और प्रतेक पुस्तक जो इसके अलावा क्स्किस और बातों की शिक्षा देती है, उसे जला देना चाहिए | पिछले पांच सौ वर्षों में प्रशांत महासागर से लेकर आंध महासागर तक सारे विश्व में लगातार रक्तपात होता रहा है | यह है मुहम्मद्वाद ! फिर भी इन मुसलमानों में से ही, जहां कही कोई दार्शनिक व्यक्ति हुआ, उसने निश्चय ही इन अत्याचारों कि निंदा कि है |” ( ३ फरवरी १९००, कोपासडेना में दिए गए भाषण से, ४:१२६ )
१५. अल्लाह के लिए लड़ो – “ भारत में विदेशी आक्रान्ताओ की, सैकड़ो वर्षों तक लगातार, एक के बाद एक लहर आती रही और भारत को तोडती और नष्ट भ्रष्ट्र करती रही | यहाँ तलवारे चमकी और ‘ अल्लाह के लिए लड़ो और जीतो “ के नारों से भारत का आकाश जुन्जता रहा | लेकिन ये बाढ़े भारत के आदर्शो को बिना परिवर्तित किये हुए, स्वत: ही धीरे – धीरे समाप्त होती गयी |” ( ४:१५९ )
१६. मूर्ति पूजक हिंदू घृणास्पद – “ मुसलमानों के लिए यहूदी और ईसाई अत्यंत घृणा के पात्र नही है | उनकी नजरो में वे कम से कम ईमान के आदमी तो है | लेकिन ऐसा हिंदू के साथ नही हयाई | उनके अनुसार हिंदू मूर्ति पूजक है व् घृणास्पद ‘ काफ़िर’ है | इसलिए वह इस जीवन में नृशंस हत्या के योग्य है और मरने के बाद उसके लिए शाश्वत नरक तैयार है | मुसलमान सुलतानो ने काफिरो के अध्यात्मिक गुरुओ और पुजारियों के साथ यदि कोई सबसे अधिक कृपा की तो यह कि उन्हें किसी प्रकार अंतिम सांस लेने तक चुपचाप जी लेने के अनुमति दे दी | यह भी कभी कभी बड़ी दयालुता मानी गयी, यदि किसी मुस्लिम सुल्तान का धार्मिक जोश असामान्य या कुछ अधिक होता है तो ‘ काफिरो’ के कत्ले आम रूपी बड़े यग्य का फ़ौरन ही प्रबंध किया जाता है |” (४: ४४६ )
१७. यह कत्ले आम मुसलमान लाए – “ तुम जानते हो कि हिंदू धर्म किसी को यातना नही देता | यह एक ऐसा देश है जहां कि सभी प्रकार के सम्प्रदाय शांति और सौहार्द् के साथ रह सकते है | मुसलमान अपने साथ अत्याचार और कत्ले आम लाये, लेकिन उनके आने से पहले तक यहाँ शांति बनी रहती थी |” ( ५:१९० )
१८. मुसलमानों ने तलवार का सहारा लिया – “ भारत में मुसलमान ही ऐसे पहले लोग थे, जिन्होंने तलवार का सहारा लिए | “ ( ५:१९७ )
१९. एक हिंदू का कम होने का मतलब एक शत्रु का बढ़ना – “ सबसे पुराने इतिहासकार फरिश्ता के अनुसार हमें बताया गया है कि जब सबसे पहले मुसलमान भारत में आये तो यह साठ करोंड़ हिंदू थे और अब केवल बीस करोंड़ है ( यानी चालीस करोंड़ हिंदू मारे गए और धर्मान्तरित किये गए ) | और हिंदू धर्म से एक भी हिंदू का बाहर जाने का मतलब है एक हिंदू का कम होना नहीं है बल्कि एक दुश्मन का बढ़ जाना है” इसके अलावा इस्लाम और ईसाईयत में धर्मान्तरित अधिकांश हिंदू तो तलवार के बल पर धर्मान्तरित हुए है या उनके संताने है |
“ ( ५:२३३ )
२०. मुहम्मदीय विजय को भारत में पीछे हटाना पड़ा – “ मुसलमानों के विजय कि लहर जिसने सारी पृथ्वी को निगल लिया था, उसे भारत के सामने पीछे हटाना पड़ा | “ ( ५:५२८ ) 
२१. हशासिन शब्द ‘असेसिन‘ बन गया – “ मुसलमानों का ‘ हशासिन ‘ शब्द ‘ असेसिन् ‘ बन गया क्योकि मुहम्मदीय मत का एक पुराना सम्प्रदाय गैर- मुसलमानों को मारने को अपने धर्म का एक अंग मनाता था |” ( ५:४० )
२२. इस्लाम में हिंसा का प्रयोग – “ मुसलमानों ने हिन्द का सबसे अधिक प्रयोग किया | “ ( ७:२१७ )
२३. गैर मुसलमानों को मार दो – “ एक ऐसा रिलीजन भी हो सकता है जो अत्यंत भयंकर शिक्षाये देता हो | उदाहरण के लिए मुसम्मादीय मत ( इस्लाम ) मुसलमानों को उन सबकी हत्या करने कि अनुमति देता है जो कि उसके मतानुयायी नही है | ऐसा कुरान में स्पष्ट लिखा है कि “ अविश्वाशियो ( गैर-मुसलमानों ) को मार दें | यदि वे मुहम्मादीय ( मुसलमान ) नही हो जाते है |” उन्हें अग्नि में झोक देना और तलवार से काट देना चाहिए |”
अब यदि हम किसी मुसलमान से कहे कि ऐसा गलत है तो, वह स्वाभाविक तौर पर फ़ौरन पूछेगा कि “ तुम ऐसा कैसे जानते है ? तुम कैसे जानते ही कि ऐसा ठीक नही है ? मेरी धर्म पुस्तक ( कुरान ) कहती है कि ऐसा ही ठीक है | “ ( १७ नवंबर १८९९ को लन्दन में दिए गए भाषण में , प्रैक्टिकल वेदांत, भाग ३ से )
( समस्त उध्दरण अंग्रेजी के सम्पूर्ण विवेकनन्द वाद्रिमय के हिंदी अनुबाद से है, खंड एवं पृष्ठानुसार )

3 comments:

  1. कथित सेक्युलर पुत्र इस जानकारी को समझे गुने तो बात बने .आभार मदन जी आपका .

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  2. यही बातें जब संघ या कोई अन्य राष्ट्र-वादी संस्था कहती है तो कैसे-कैसे शब्दों का प्रयोग शुरू कर दिया जाता है. |

    लेकिन विरोधियों को शायद यह पता नहीं कि तटस्थ रहने वाले भी यह जानकार आनंदित और गौरवान्वित महसूस करते है कि कोई तो है जो हमारे लिए / राष्ट्र के लिए विपरीत परिस्थितियों में भी खड़ा है |
    प्रस्तुति,
    चिंतन, मनन और क्रियान्वयन हेतु प्रेरणा देती है |
    आभार ||

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  3. बहुत दुर्लभ जानकारी दी है आपने , बिलकुल इसी तरह महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने अपने ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में ऐसी बातों को लेकर पूरा एक अध्याय समर्पित कर रखा है जिसका कोई तार्किक उत्तर आज भी मुल्लाओं के पास नहीं है सिवाय अनर्गल प्रलाप करने के | आप से अनुरोध है की आप सत्यार्थ प्रकाश जरुर पढ़ें तथा दूसरों को भी प्रेरित करें ......

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