यथेमाम वाचं  कल्याणीमावदानी जनेभ्यः | ब्रह्मराजान्याभ्याम  शूद्राय चार्याय च स्वाय चारणाय च |
यजुर्वेद (२६ -२ )
जैसे मै अपनी कल्याणकारी वेद वाणी का मनुष्य मात्र के लिए उपदेश करता हूँ वैसे ही तुम भी किया करो | मैंने ब्राह्मणों क्षत्रियो वैश्यों शूद्रों तथा अतिशूद्रों आदि सभी के लिए वेदों का प्रकाश किया है | 
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         (वीरू भाई )
अतिथि पोस्ट के रूप में वीरू भाई का लेख आप के लिए प्रस्तुत है 
                                                       --मदन शर्मा 





राजीव गांधी की राजनीति में आत्मघाती गलती क्या था ?  खुद को मिस्टर क्लीन घोषित करवाना . इंदिराजी श्यानी थीं . उनकी सरकार में चलने वाले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जब उनकी राय पूछी गई उन्होंनेझट कहा यह तो एक भूमंडलीय फिनोमिना है . हम इसका अपवाद कैसे हो सकतें हैं . 
(आशय यही था सरकारें मूलतया होती ही बे -ईमान और भ्रष्ट हैं ). यह वाकया १९८३ का है जिस पर दिल्ली उच्च न्यायालय के एक ईमानदार न्यायाधीश महोदय ने निराशा और हताशा के साथ कहा था-- वहां क्या हो सकता है भ्रष्टाचार के बिरवे का जहां सरकार की मुखिया ही उसे तर्क सम्मत बतलाये . यही वजह रही इंदिराजी पर कभी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा न ही उन्होंने कभी अपने भ्रष्टाचार और इस बाबत निर्दोष होने का दावा किया . ज़ाहिर है वह मानतीं थीं-"काजल की कोठारी में सब काले ही होतें हैं . ऐसा होना नियम है अपवाद नहीं ।
राजीव गांधी खुद को पाक साफ़ आदर्श होने दिखने की महत्व -कांक्षा पाले बैठे थे और इसलिए उन्हें बोफोर्स के निशाने पर लिया गया और १९८९ में उनकी सरकार को खदेड़ दिया गया . जब की इंदिरा जी ने खुद को इस बाबत इम्युनाइज़्द ही कर लिया था , वे आखिर व्यावहारिक राजनीतिग्य थीं ।
राजनीति -खोरों के लिए इसमें यही नसीहत और सबक है अगर ईमानदार नहीं हो तो वैसा दिखने का ढोंग (उपक्रम )भी न करो .
लेकिन सोनिया जी ने अपने शोहर वाला रास्ता अपनाया है . त्यागी महान और ईमानदार दिखने का .लगता है १९८७-१९८९ वाला तमाशा फिर दोहराया जाएगा . हवा का रुख इन दिनों ठीक नहीं है । आसार भी अच्छे नहीं हैं . अप -शकुनात्मक हैं ।
राजीव गांधी का अनुगामी बनते हुए और इंदिराजी को विस्मृत करते हुए नवम्बर २०१० में एक पार्टी रेली में उन्होंने भ्रष्टाचार के प्रति "जीरो टोलरेंस "का उद्घोष किया ।
चंद हफ़्तों बाद ही उन्होनें अपना यह संकल्प कहो या उदगार दिल्ली के प्लेनरी सेशन में दोहरा दिया . उन्होंने पार्टी काडर का आह्वाहन किया भ्रष्टाचारियों को निशाने पे लो किसीभी दगैल को छोड़ा नहीं जायेगा . दार्शनिक अंदाज़ में यह भी जड़ दिया भ्रष्टाचार विकास के पंख नोंचता है ।
तब से करीब पच्चीस बरस पहले राजीव गांधी ने भी पार्टी के शताब्दी समारोह में मुंबई में ऐसे ही उदगार प्रगट किये थे ।
अलबत्ता दोनों घोषणाओं के वक्त की हालातों में फर्क रहा है ,राजीव जी के खिलाफ तब तक कोई "स्केम ",कोई घोटाला नहीं था . क्लीन ही दीखते थे वह ।
लेकिन सोनिया जी से चस्पा थे -कोमन वेल्थ गेम्स , टू जी , आदर्श घोटाले ।
राजीव जी बोफोर्स के निशाने पर आने से पहले बे -दाग ही समझे गए . लेकिन सोनियाजी की राजनीतिक तख्ती पर सिर्फ कात्रोची ही नहीं लिखा है , क्वाट -रोची स्विस बेंक की ख्याति वाले और भीं अंकित हैं साफ़ और मान्य अक्षरों में ।
मामला इस लिए भी संगीन रुख ले चुका है एक तरफ विख्यात स्विस पत्रिका और दूसरी तरफ एक रूसी खोजी पत्रकार द्वारा गांधी परिवार के सनसनी खेज घोटालों के खुलासे के बाद सोनिया जी के कान पे आज दो दशक बाद भी जूं भी नहीं रेंगीं हैं ,है सूंघ गया सामिग्री सामिग्री है .साहस नहीं हुआ है उनका प्रतिवाद का या मान हानि के बाबत मुक़दमे या और कुछ करने का .
नवम्बर १९,१९९१ के अंक में स्विटज़र -लेंड कीएक नाम चीन पत्रिका (स्वैज़र इलस -ट्री -एर्टे) ने तीसरी दुनिया के कोई एक दर्ज़नऐसे राज -नीतिज्ञों का पर्दा फास किया जिन्होनें रिश्वत खोरी का पैसा स्विस बेंक में ज़मा करवा रखा था .इनमें कथित मिस्टर क्लीन भी थे .इस नामचीन पत्रिका की कोई २,१५ ,००० प्रतियां प्रति अंक बिक जातीं हैं .पाठक संख्या स्विटज़र -लेंड की कुल वयस्क आबादी का कोई छटा हिस्सा रहता है लगभग ९,१७,००० प्रति अंक ।
के जी बी रिकोर्ड्स के हवाले से बतलाया गया था राजीव की विधवा का यहाँ कोई ढाई अरब फ्रांक (तकरीबन २.२ अरब बिलियन डॉलर्स ) से गुप्त एकाउंट चल रहा है .इनके अल्प -वयस्क पुत्र के नाम से यह खाता ज़ारी था (जो अब कोंग्रेस के राजकुमार हैं )।
बतलाया यह भी गया था यह लेखा अनुमान के मुताबिक़ जून १९८८ से भी पहले से ज़ारी था जब राजीव ने भारी जन समर्थन बटोरा था ।
रुपयों में यह राशि वर्तमान के १०,००० करोड़ आती है .स्विस बेंक में पैसा द्विगुणित होता रहता है ।
लॉन्ग टर्म सिक्युरितीज़ में निवेश करने पर यह २००९ में ही हो जाता ४२,३४५ करोड़ रुपया .अमरीकी स्टोक्स में निवेशित होने पर हो जाता १२.९७ अरब डॉलर (५८ ,३६५ करोड़ रूपये )।
जो हो आज इसगांधी परिवार के खाते की कीमत 4३,००० -८४,००० करोड़ के बीच हो गई है ।
(ज़ारी ...)
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6 comments:

  1. राजीव जी बोफोर्स के निशाने पर आने से पहले बे -दाग ही समझे गए||
    आज इसगांधी परिवार के खाते की कीमत 4३,००० -८४,००० करोड़ के बीच हो गई है ।

    रक्त-कोष की पहरेदारी
    चालबाज औ धूर्तराज सब, पकडे बैठे डाली - डाली |
    आज बाज को काज मिला जो करता चिड़ियों की रखवाली |

    दुग्ध-केंद्र मे धामिन ने जब, सब गायों पर छान्द लगाया |
    मगरमच्छ ने अपनी हद में,मत्स्य-केंद्र मंजूर कराया

    महाघुटाले - बाजों ने की, जब तिहाड़ की पहरेदारी |
    जल्लादों ने छीनी मठ की, ठग-महन्त से कुल मुख्तारी||

    तिलचट्टों ने तेल कुओं से, अपनी शाश्वत प्यास बुझाई |
    रक्त-कोष की पहरेदारी, नर-पिशाच के जिम्मे आई ||

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  2. बहुत सुन्दर कमेंट्स रविकार जी ! आपकी नजरिये से पूरी तरह सहमत |
    जब देश का रक्षक ही खुद भक्षक बन जाय !
    लुट लिया सारी जनता को देशसेवक कहलाय
    जब चारा का मालिक ही सारा चारा खा जाय
    तब बोलो कैसे भैया ! विश्वास कहाँ से आये !!

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  3. मदन जी नमस्ते | आपका आभार इतनी जानकारी युक्त ज्ञान देने का |

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  4. मान बढाया आप सभी ने हमारा ,शुक्रिया !

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  5. मदन शर्मा जी
    शुक्रिया

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  6. महात्मा गांधी की जयंती दो अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतर -राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया था .लेकिन इस मौके पर गांधीजी के जो ताउम्र अहिंसा और सत्य के पुजारी रहे सन्देश को सोनिया गाँधी से प्रसारित करवाना कई हलकों को बहुत ना -गंवार गुजरा था .उन्होंने पूछा था -क्या सोनिया गांधी उन्हीं जीवन मूल्यों का प्रति निधित्व करतीं भी हैं जिनके लिए महात्मा का सारा जीवन समर्पित था .क्या यह अच्छा नहीं रहता यह सन्देश किसी गांधी वादी से ही दिलवाया जाता आम जन को ,कोंग्रेस के आम आदमी को ।
    जानतें हैं उन्होंने क्या कहा इस मौके पर -
    हाव कैन सोनिया पोसिब्ली रिप्रेजेंट महात्मा गाँधी ऑन इंटर -नेशनल नॉन -वायोलेंस डे?
    ट्रुथ वर्सस वायोलेंस
    नॉन -वायोलेंस वर्सस अग्रेशन
    सेकरी -फा -इस वर्सस सेल्फ एग्रन्दाइज़- मेंट
    ओनेस्टी वर्सस डिस -ओनेस्टी
    टोलरेंस वर्सस इन -टोलरेंस ।
    बकौल इनके - सोनिया मैनो गाँधी गांधीजी की आनुवंशिक वन्श्वेल से भी ताल्लुक नहीं रखतीं हैं .उनके नाम को वह भुना रहीं हैं अपने हक़ में और वह भी आलमी स्तर पर ,ग्लोबल कैनवास पर .(प्लीज़ रीड दी लिंक http://www.iretireearly.com/sonia-gandhi-and-congress-secret-billions-exposed.हटमल)
    http://www.iretireearly.com/sonia-gandhi-and-congress-secret-billions-exposed.हटमल ।
    आप जानतें हैं और अच्छी तरह से मानतें हैं सोनिया प्रति -शोधात्मक हैं ,रिवेंज्फुल हैं ,विन्डिक-टिव हैं .गैर -प्रजातांत्रिक हैं .रामलीला करतीं हैं ।आधी रात के बाद संतों के कपडे उतर वातीं हैं .
    इनका दल कई प्रजा -तांत्रिक धत कर्मों में लिप्त रहता है .कर छापे डलवाता है विरोधियों के घर दफ्तर पर ,कारोबार पर .विपक्ष की सीधे- सीधे भी हेटी करता है .(आपातकाल इसका साक्षी बन चुका है )।
    (सन्दर्भ :"नो योर सोनिया "-डॉ .सुब्रामनियम स्वामी .विजिटिंग हारवर्ड प्रोफ़ेसर )।
    सोनिया जी की प्रो -टेर्रार-ईस्ट (आंतक -वाद पोषक )नीतियों के चलते ही भारतमें आज दुनिया में ईराक के बाद सबसे ज्यादा आतंक वाद के सताए हुए पीड़ित लोग हैं .घर से बेघर (कश्मीरी पंडित तो एक उदाहरण मात्र हैं )।
    उनकी सरकार अफज़ल गुरु के लिए माफ़ी की मांग करती रही है जिसने भारतीय संसद को निशाने पे लेने की सारी साज़िश रची थी ।कसाब मुंबई में जीम रहा है .बिरयानी कभी पाँव बड़ा और कभी ...
    हम धर्म -निरपेक्ष हैं साहब और इसीलिए हमने अपने बोर्डर्स को सोफ्ट बनाया हुआ है .इस्लामी बुनियाद परस्ती और इस्लामी आतंक के प्रति सोनिया सरकार आँखें बंद किए है ।
    इनकी सरकार में १९८४ के दंगों को हवा देने वाले प्रमुखतम सूत्र -धार केन्द्रीय सरकार का एक एहम महकमा संभाले हुए थे ।यही है इनका मानवाधिकारों के प्रति अनुराग ।
    इनकी सरकार ने ९० करोड़ हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक राम सेतु को यूं उड़ा दिया ,तालिबान ने जैसे बौद्ध स्तूपों और प्रतिमाओं को उड़ा दिया था (बमयन बुद्धाज़ )।
    गांधी जी हिंदुत्व के मूर्त रूप थे उनके तो अंतिम शब्द भी यही थे -हे राम !धर्म परिवर्तन को उन्होंने संस्कृति विनाशक ज़हर बतलाया था .फिल वक्त सोनिया के शासन और संरक्षण में अंतर -राष्ट्रीय मिशनरियां खुल कर यह सेवा कर रहीं हैं भारत को साक्षर और भर -पेट होने बनाने के नाम पर .
    उनके स्वर्गीय पति पर आक्षेप है उन्होंनेरूसी खुफिया एजेंसी " के जी बी" से पैसा लिया था .उनका स्विस बैंक में गुप्त खाता था २ अरब डॉलर का .आज तक सोनिया एंड कम्पनी ने इसका प्रतिवाद नहीं किया है ।
    २००१ में राहुल गाँधी को बोस्टन में धर लिया गया था "ऍफ़ बी आई "ने ,इस बिना पर इनके पास बेनामी केश है ।
    (सन्दर्भ :दी स्टेट विद -इन स्टेट बाई येव्जेनिया अल्बट्स ,स्विस मैगजीन स्वईज़र इलास्त्रेने ११/१९९१ ,इंडो एशियन न्यूज़ सर्विस )।
    इन्हीं युवराज को मिस्टर सुपर -क्लीन को भारत का भावी- प्रधान मंत्री बतलाया जा रहा है ,जो आजकल कोंग्रेसी चाणक्य दिग -विजय से दीक्षा ले रहें हैं .
    युनाईतिद नेशंस आयल फॉर फ़ूड स्केम देट हेल्प्द सदाम हुसैन में सोनिया कोंग्रेस के हाथ सने हुए थे .भारत आने से पहले भी इनकी स्लेट पाक साफ़ नहीं थी बहुत कुछ वहीँ से लिखा आया था इसकी चर्चा फिर कभी

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